यूँ न देख नफरत से मुझे…वही चेहरा है जिसे आपने टूट कर चाहा था
लोग फ्री का wi -fi नहीं छोड़ते और पगली तूने इतना प्यार करने वाला लड़का छोड़ दिया
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे… बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया
बदनाम क्यों करते हो तुम इश्क़ को , ए दुनिया वालो…मेहबूब तुम्हारा बेवफा है ,तो इश्क़ का क्या कसूर
दिल तो करता हैं की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह फिर सोचता हूँ कि मनाएगा कौन
नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में,किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता
हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला…शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले
काश तू मेरी आँखों का आँसू बन जाए, मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से
लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते
एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये..पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही
तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का…एक तेरा ही चेहरा खुश देख कर तो मैं अपना गम भुलाता हूँ
कहतें हैं कि मोहबत एक बार होती है..पर मैं जब जब उसे देखता हूँ..मुझे हर बार होती है
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ ऐ खुदा.एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला
छोड़ दिया हमने उसका दीदार करना हमेशा के लिए जिसको प्यार की कदर ना हो
उसे मुड़ मुड़ के क्या देखना
खेल ताश का हो या जिंदगी का,अपना इक्का तब ही दिखाना जब सामने बादशाह हो
हर दिन, रात होने का इंतज़ार करता हूँ,हर रात तेरे साथ होने का इंतज़ार करता हूँ
सारी गलतियाँ मेरी, सारे कसूर मेरे सारी कमियां मुझमें, सारे दोष भी मेरे तुम तो अच्छे हो न, याद ही कर लिया करो
ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में मेरी मोहब्बत की तौहीन होगी
मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा और मेरी जान पैदल होगी
हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं ,कभी किस्मत से टूट जाते हैं ,कभी लोग तोड़ जाते हैं
मेरा यूँ टुटना और टूटकर बिखर जाना कोई इत्फाक नहीं,
किसी ने बहुत कोशिश की है मुझे इस हाल तक पहुँचाने में
मंजिलें तो हासिल कर ही लेगे,कभी किसी रोज,
ठोकरें कोई जहर तो नहीं ,जो खाकर मर जायेगें.
ये इश्क़ भी बड़ी ना मुराद चीज़ है.उसी से होता है जो किसी और का होता है
जाते वक्त उसने मुजसे अजीब सी बात कही " तुम जिंदगी हो मेरी, और मुझे मेरी जिंदगी से नफरत है
कभी दिल टूटे तो बताना दोस्त…. थोडा वहूत “वेल्डिंग” हम भी जानते हैं
ये इश्क़ भी बड़ी ना मुराद चीज़ है.उसी से होता है जो किसी और का होता है
तु ये मत सोच तू छोड़ देगी तो टूट जाऊगा... कमिना हू तेरे से अच्छि_पटाऊगा
अरे पगली मे तो तुझे तब से चाहता हुं., जब से तू #School में दों चोटीया बांध कर आती थी
प्रेम के चक्रव्युह को तोड़ना जानती थी तुम,मैं अभिमन्यु था, मारा गया
जरा सी जगह छोड देना अपनी नीदो मै,क्योकि
आज रात तेरे ख्बाबो मै हमारा बसेरा होगा
देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे
अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे
अजीब रंगो में गुजरी है मेरी जिंदगी।
दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए
उन्होंने वक़्त समझकर गुज़ार दिया हमको..
और हम.. उनको ज़िन्दगी समझकर आज भी जी रहे हैं
कितने बदल गए हैं वो हालात की तरह
हर बार मिलते हैं पहली मुलाक़ात की तरह
स्कूल न सही ज़िन्दगी से सही!
मुश्किल-मुश्किल हिसाब सीख गए
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी,
लोग ‘स्वादानुसार’ इस्तेमाल कर लेते हैं
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले को ‘ज़िंदगी’ कहते हैं
गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ बादल.
ये प्यास किसी के मिलने से बुझेगी तेरे बरसने से नही.
एक ख्वाहिश पूरी हो, इबादत के बगैर.
वो आकर लिपटे मुझसे, मेरी इजाजत के बगैर
वो इतना रोई मेरी मौत पर. मुझे जगाने के लिए
मै मरता ही क्युँ" अगर वो थोडा रो देती मुझे पाने के लिये
उनसे रोज मिलने को जी चाहता है, कुछ सुनने-सुनाने को जी चाहता है,
उनके मनाने का अन्दाज है ऐसा कि आज फिर रूठ जाने को जी चाहता है
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया,जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की
महसूस तब हुआ जब सारा शहर ,मुझसे जलने लगा है
तब समझ मे आ गया कि ,अपना नाम भी चलने लगा है