किस कदर अन्जान है यह सिलसिला ऐ इश्क



कैसे करूँ भरोसा ग़ैरों के प्यार पर,
यहाँ अपने ही मज़ा लेते हैं अपनों की हार पर

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,दिल मेरा था और धड़क रहा था वो
प्यार का तालुक भी अजीब होता है,आंसू मेरे थे सिसक रहा था वो.

किस कदर अन्जान है यह सिलसिला ऐ इश्क,
मोहब्बत तो कायम रहती है मगर इन्सान टूट जाते है

कैसे करूँ भरोसा ग़ैरों के प्यार पर,
यहाँ अपने ही मज़ा लेते हैं अपनों की हार पर

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,दिल मेरा था और धड़क रहा था वो
प्यार का तालुक भी अजीब होता है,आंसू मेरे थे सिसक रहा था वो.

किस कदर अन्जान है यह सिलसिला ऐ इश्क,
मोहब्बत तो कायम रहती है मगर इन्सान टूट जाते है

मुझे नहीं पता की ये बिगड़ गया या सुधर गया
बस अब ये दिल किसी का भरोसा नहीं करता

जीत किसके लिए,हार किसके लिए जिन्दगी भर यह तकरार किसके लिए
जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए

खूबियाँ इतनी तो नही हम मे,कि तुम्हे कभी याद आएँगे
पर इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर,आप हमे कभी भूल नही पाएँगे

मिट्टी का जिस्म लेके पानी के घर में हूँ,मंजिल है मैरी मौत, मैं हर पल सफर में हूँ,
होना है मेरा कत्ल, ये मालूम है मुझे,लेकिन खबर नहीं कि मैं किसकी नज़र में हूँ

मेरे दिल ने जब भी कभी कोई दुआ माँगी,हर दुआ में बस तेरी ही वफ़ा माँगी,
जिस प्यार को देख कर जलते हैं यह दुनिया वाले,तेरी मोहब्बत करने की बस वो एक अदा माँगी

जिंदगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा,क्योंकि
उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं हमसफ़र नहीं

तुम हमें जान पाओ,तुम्हें इतनी फ़ुरसत कहाँ थी.और हम तुम्हें भुला पाते,इतनी हममें जुररत कहाँ थी

मुझे छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी 
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी

हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मोहब्बत का
कभी खुद से भी पूछा है इतनी खुबसूरत क्यों हो

यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे मेरे आज से
मगर कभी-कभी बीता हुआ कल बहुत याद आता है

किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे
बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है

मुझे छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी

नीयत' कितनी भी अच्छी हो दुनिया आपको आपके 'दिखावे' से जानती है! 
और दिखावा' कितना ही अच्छा हो ऊपरवाला' आपको 'नीयत' से पहचानता है

वो छोड़ के गए हमें न जाने उनकी क्या मजबूरी थी खुदा ने कहा
इसमें उनका कोई कसूर नहीं ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी

रहे सलामत ज़िन्दगी उनकी,जो मेरी ख़ुशी की फरियाद करते है,
ऐ खुदा उनकी ज़िन्दगी खुशियों से भर दे,जो मुझे याद करने में अपना एक पल बर्बाद करते हैं

नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो