तू दूर भी है पास भी तेरी तलब है आस भी
दर्द मे भी हम मुस्कुरा देते है• तन्हा होते है तो तेरा हम नाम लेते है
बिखर गये ख्वाब मेरे लहरों सी हो गई जिंदगी•कब मिले
किनारा कब मिले सहारा•कब हो इश्क की पूरी मेरी बंदगी•
मजबूरीयां दूरियां तन्हाईयाँ क्यो इश्क मे यादें बन के रह जाती है
हर बार मिली है मुझे अनजानी सी सज़ा,मैं कैसे पूछूं तकदीर से मेरा कसूर क्या है
जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा.. पर कभी तुम से कुछ नही चाहा.
मैं लब हूँ.मेरी बात तुम हो.मैं तब हूँ.जब मेरे साथ तुम हो.
मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।
मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा
Don’t trust too much, don’t hope too much because that “too much” can hurt you so much.
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी मैं खुद भी
तेरी यादें अक्सर छेड़ जाया करती हैं कभी अा़ँखों का पानी बनकर कभी हवा का झोंका बनकर.
मुद्दत हो गयी,कोई शख्स तो अब ऐसा मिले.बाहर से जो दिखता हो,अन्दर भी वैसा मिले.
मेरी नजर से दूर ना हो तुम मेरी आँखे सिर्फ तुम्हे निहारती
मेरी पलको को बोझ ना दो तुम ये तुम्हे बसाना चाहती हँ सिर्फ
तुम ने ही सिखाया मुझे गुस्से का वो लाल रंग
बडी अजीब बात है लोग रोज रंग बदल बदल कर जीते है।
होली आती है तो कहते हैै,मुझे रंगों से एलर्जी है
एक ख़्वाब ही है जिसने साथ ना छोड़ा हक़ीक़त तो बदलती रही हालातो के साथ
रंगो की इस दुनिया में तेरा कोई रंग नहीं
जब तक जिये, बिखरते रहे,टूटते रहे,हम साँस -साँस क़र्ज़ की सूरत अदा हुए
जिदंगी सफर थी.और मँजिल तुम थी.सो अरसा हो गया.हम को गुम हुए.
शायद अब उसे.लोट के आ जाना चाहीए.या फिर लोट आए वो सुबह.जिसकी शाम में.वो बिछड़ा था.
हा तो चलो संग उन बहारों में
उस नदी के किनारे..जहां कुछ सकूँ मिलेगा हमें
तू थी, तो था ख़ुशियों का मेला,तुझ बिन अब दुखों का हे साया
तू थी, तो था जीने का मक़सद,तुझ बिन लगे सब व्यर्थ की मोह माया
तू थी,तो ये जहाँ था मेरा,तुझ बिन अब मैं ख़ुद से पराया.
दर्द भी दिल का हिस्सा है,हर जिन्दगी का ये किस्सा है
आज़ाद खयाल होना का अर्थ क्या है क्या एक पढ़ा लिखा इंसान आज़ाद ख्याल होता है
इस जिदंगी का क्या भरोसा जो दो पल की है हम भी उन लम्हो की तरह गुजर जायेंगे जो लौट के नही आते