The Best Paid Survey Sites to Make Extra Money (+How to Earn $250/Month)






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Over the last few years I’ve gotten nearly 100 emails asking me what I thought of survey sites and why I’ve never listed any here.
Well, the truth is…. it’s just not my favorite way to earn extra money.
Personally, I get really bored filling out online forms and I often find with survey companies, I’m only making $7-8/hour.
But, it’s easy. If you’re interested in this type of work, I’ve finally put together a list of our favorites. 
It can be a little time consuming, but my recommendation is to signup for all eleven survey sites at once. And that’s because each site is probably only going to be able to match you up with one or two surveys a month.
So, if you want to make any real money — you need to be a member of a LOT of panels.
I do this kind of work while I’m watching TV and if I’m able to complete all the surveys sent to me, I’m usually able to earn $250+/month.
Without further ado, here are the eleven best survey sites…



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It's all about filling in online surveys for cash and attending face-to-face focus groups. This guide has a full rundown of the top 26 free paid survey sites, plus we've tips to max your survey income and the top focus group agencies.

वो तो बस याद आते है उन्हें दिन रात से क्या



तू दूर भी है पास भी..तेरी तलब है आस भी

वक्त ठहरसा जाता है.तेरी बातें कोई सुनाये तो

कसूर मेरा था तो कसूर उनका भी था,नज़र हमने जो उठाई थी तो वो झुका भी सकती थी

दूरीया बिल्कुल भी मायने नही रखती जब.
💕दो दिल एक दूसरे के लिए वफादार होते हैं

मैं साँस लेता हूँ तेरी खुशबू आती है एक महका महका सा पैगाम लाती है
 मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है

दो साये छुप गए अँधेरों की चादर ओढ़कर.चाँदनी दबे पांव खिङकी से झांककर लौट गई

बहुत खूबसूरत, बहुत खास होते हैं कुछ रिश्ते रूह का लिबास होते हैं

जानबूझ कर नज़रअंदाज़ करते हो तुम क्या सच में बहुत प्यार करते हो तुम 

सोचता हूँ तुम्हे अब मै ख़ुदा कह दूँ पर दुनिया मुझे भी काफ़िर कहा करती है

कुछ लोग ख़ास होते है जिनसे बात करने के लिए भी हम तरह तरह के बहाने ढूंढते है

एक ख़्वाहिश थी दो दिलों के बीच.और कुछ दरमियान था ही नहीं

कुछ अनूठा ही रिश्ता है मेरा उस शख्स से.कभी उसे सोचने से सुकून मिलता है कभी बेचैनी

वो तो बस याद आता है उसे दिन रात से क्या

दर्द मे भी  हम मुस्कुरा देते है• तन्हा होते है तो  तेरा हम नाम लेते है

तुम होते तो...सर्द हवाओं के दरम्यान तुम्हारी बाहों के घेरे होते.

बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह

बिखर गये ख्वाब मेरे लहरों सी हो गई जिंदगी•कब मिले 
किनारा कब मिले सहारा•कब हो इश्क की पूरी मेरी बंदगी•

मजबूरीयां दूरियां तन्हाईयाँ क्यो इश्क मे यादें बन के रह जाती है

हर बार मिली है मुझे अनजानी सी सज़ा,मैं कैसे पूछूं तकदीर से मेरा कसूर क्या है 

जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा.. पर कभी तुम से कुछ नही चाहा.

मैं लब हूँ.मेरी बात तुम हो.मैं तब हूँ.जब मेरे साथ तुम हो.

मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।
मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा

Don’t trust too much, don’t hope too much because that “too much” can hurt you so much.

धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है लोग भी रिश्ते भी और कभी कभी मैं खुद भी

तेरी यादें अक्सर छेड़ जाया करती हैं कभी अा़ँखों का पानी बनकर कभी हवा का झोंका बनकर.

मुद्दत हो गयी,कोई शख्स तो अब ऐसा मिले.बाहर से जो दिखता हो,अन्दर भी वैसा मिले.

मेरी नजर से दूर ना हो तुम मेरी आँखे सिर्फ तुम्हे निहारती
मेरी पलको को बोझ ना दो तुम ये तुम्हे बसाना चाहती हँ सिर्फ

तुम ने ही सिखाया मुझे गुस्से का वो लाल रंग 

बडी अजीब बात है लोग रोज रंग बदल बदल कर जीते है।
होली आती है तो कहते हैै,मुझे रंगों से एलर्जी है

एक ख़्वाब ही है जिसने साथ ना छोड़ा हक़ीक़त तो बदलती रही हालातो के साथ

रंगो की इस दुनिया में तेरा कोई रंग नहीं

जब तक जिये, बिखरते रहे,टूटते रहे,हम साँस -साँस क़र्ज़ की सूरत अदा हुए

जिदंगी सफर थी.और मँजिल तुम थी.सो अरसा हो गया.हम को गुम हुए.

शायद अब उसे.लोट के आ जाना चाहीए.या फिर लोट आए वो सुबह.जिसकी शाम में.वो बिछड़ा था.

हा तो चलो संग उन बहारों में
उस नदी के किनारे..जहां कुछ सकूँ मिलेगा हमें

तू थी, तो था ख़ुशियों का मेला,तुझ बिन अब दुखों का हे साया
तू थी, तो था जीने का मक़सद,तुझ बिन लगे सब व्यर्थ की मोह माया

तू थी,तो ये जहाँ था मेरा,तुझ बिन अब मैं ख़ुद से पराया.

दर्द भी दिल का हिस्सा है,हर जिन्दगी का ये किस्सा है

आज़ाद खयाल होना का अर्थ क्या है क्या एक पढ़ा लिखा इंसान आज़ाद ख्याल होता है

इस जिदंगी का क्या भरोसा जो दो पल की है हम भी उन लम्हो की तरह गुजर जायेंगे जो लौट के नही आते

कोई सुबह ऐसी भी हो..आंख खुलते ही तेरी यादें न घेरे ..तू करीब हो मेरे इस कदर..तेरी याद की भी जगह न हो दरम्या


दिल में जो ह छुपा मत मैं किसी से नहीं कहु गा



तू दूर भी है पास भी तेरी तलब है आस भी

दर्द मे भी  हम मुस्कुरा देते है• तन्हा होते है तो  तेरा हम नाम लेते है

बिखर गये ख्वाब मेरे लहरों सी हो गई जिंदगी•कब मिले 
किनारा कब मिले सहारा•कब हो इश्क की पूरी मेरी बंदगी•

मजबूरीयां दूरियां तन्हाईयाँ क्यो इश्क मे यादें बन के रह जाती है

हर बार मिली है मुझे अनजानी सी सज़ा,मैं कैसे पूछूं तकदीर से मेरा कसूर क्या है 

जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा.. पर कभी तुम से कुछ नही चाहा.

मैं लब हूँ.मेरी बात तुम हो.मैं तब हूँ.जब मेरे साथ तुम हो.

मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।
मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा

Don’t trust too much, don’t hope too much because that “too much” can hurt you so much.

धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी मैं खुद भी

तेरी यादें अक्सर छेड़ जाया करती हैं कभी अा़ँखों का पानी बनकर कभी हवा का झोंका बनकर.

मुद्दत हो गयी,कोई शख्स तो अब ऐसा मिले.बाहर से जो दिखता हो,अन्दर भी वैसा मिले.

मेरी नजर से दूर ना हो तुम मेरी आँखे सिर्फ तुम्हे निहारती
मेरी पलको को बोझ ना दो तुम ये तुम्हे बसाना चाहती हँ सिर्फ

तुम ने ही सिखाया मुझे गुस्से का वो लाल रंग 

बडी अजीब बात है लोग रोज रंग बदल बदल कर जीते है।
होली आती है तो कहते हैै,मुझे रंगों से एलर्जी है

एक ख़्वाब ही है जिसने साथ ना छोड़ा हक़ीक़त तो बदलती रही हालातो के साथ

रंगो की इस दुनिया में तेरा कोई रंग नहीं

जब तक जिये, बिखरते रहे,टूटते रहे,हम साँस -साँस क़र्ज़ की सूरत अदा हुए

जिदंगी सफर थी.और मँजिल तुम थी.सो अरसा हो गया.हम को गुम हुए.

शायद अब उसे.लोट के आ जाना चाहीए.या फिर लोट आए वो सुबह.जिसकी शाम में.वो बिछड़ा था.

हा तो चलो संग उन बहारों में
उस नदी के किनारे..जहां कुछ सकूँ मिलेगा हमें

तू थी, तो था ख़ुशियों का मेला,तुझ बिन अब दुखों का हे साया
तू थी, तो था जीने का मक़सद,तुझ बिन लगे सब व्यर्थ की मोह माया

तू थी,तो ये जहाँ था मेरा,तुझ बिन अब मैं ख़ुद से पराया.

दर्द भी दिल का हिस्सा है,हर जिन्दगी का ये किस्सा है

आज़ाद खयाल होना का अर्थ क्या है क्या एक पढ़ा लिखा इंसान आज़ाद ख्याल होता है

इस जिदंगी का क्या भरोसा जो दो पल की है हम भी उन लम्हो की तरह गुजर जायेंगे जो लौट के नही आते

दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने



तेरी सांस के साथ चलती है मेरी हर धडकन,
और तुम पूछते हो मुझे याद किया या नहीं

बदनाम किया था जिसके नाम से इस शहर के लोगों ने
कसम उस शख्स की अब शहर मे तूफान आएगा

ज़िंदगी में आईना जब भी उठाया करो “पहले देखो”फिर “दिखाया" करो.

मेरे हर हकीकत को आवारा ख्वाब समझने वालो
तुम्हारी नींद उड़ाने के लिए मैं अकेला काफी हूँ

हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने

दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने,

चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं..जिन्दगी तुम हमें ढूंढो..हम तुम्हे ढूंढते हैं.

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे,जहां चाहा रो लेते थे पर 
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसुओ को तन्हाई

जिन्दगी की दौड़ में,तजुर्बा कच्चा ही रह गया.
हम सीख न पाये 'फरेब'और दिल बच्चा ही रह गया 

किलो के भाव से रद्दी में बिक गयी वो सब कॉपिया,
जिनमें मोती से शब्दों में लिखे होमवर्क पर गुड और वैरी गुड मिले थे कभी

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को
जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े 

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना 

मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है

सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं 

सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते 

हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह 

हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं
सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं

हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते
बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते 

वक्त और दौलत आपको हर वक्त पता होता है कि आपके पास कितनी दौलत है,
लेकिन आप कितनी भी दौलत खर्च करके यह नही जान सकते कि आपके पास कितना वक्त है

रुलाना हर किसी को आता है,हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो "पापा" है.और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है

जब कागज़ पर लिखा  मैंने माँ का नाम..!!
कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम

दोस्तों की कुछ अजीब सी बाते



हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए जिंदगी,हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी

किसी की धड़कन तेज़ करने के लिए प्यार की ज़रुरत नहीं, बस इतना ही कह दो कि भाई तेरा रिजल्ट आ गया है। चेक कर ले!

गलती सुधरने का मौक़ा उसी दिन बंद हो गया था, जिस दिन हाथ में पेंसिल की जगह पेन थमा दिया गया

अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है.माना के सारे झूठ तेरे थे.लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था

इंडिया में लड़की गर्लफ्रंड बाद में बनती है...सारे दोस्तों की भाभी पहले बन जाती है.

मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता हैं.ये मेरा दिल भी साला मसला ए कश्मीर लगता हैं

"मेरी हर गलती, ये सोच कर माफ़ कर देना दोस्तों.कि तुम भोसडी के कौन से शरीफ़ हो.

लड़कियों को स्कूटी चाहिए , पैदल तो वो दिमाग से भी हैं 

लड़की- मेरी मम्मी को तुम बहुत पसंद आये।लड़का- कुछ भी हो, मैं शादी तुमसे ही करूंगा, आंटी से कहना मुझे भूल जाये

"दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं के युद्ध ही लड़ा जाए थोड़े से कामयाब हो जाओ वो खैरात में मिलेंगे

बांग्लादेश इंग्लिश टीम को हराकर गुलामी का बदला लेने के अलावा भारत के साथ क्वार्टर फाइनल खेलकर अपनी आजादी के लिए धन्यवाद भी देगा है भारत को

उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा .लडकी पहले ही सेट थी और में RT पे RT करता रहा

अध्यापक - तुम स्कूल क्यों आते हो?संता- विद्या के लिए सर!अध्यापक- फिर तुम कक्षा में सो क्यों रहे हो?संता- आज विद्या नही आयी है इसलिए सर

प्रकाश की गति से रजनीकांत नहीं चलते, बल्कि रजनीकांत की गति से प्रकाश अपनी दूरी तय करता है

स्पाइडर मैन कभी भी भारत नहीं आ सकता, क्यों? क्योंकि रजनीकांत उसे बेगॉन के इस्तेमाल से मार डालेंगे

रजनीकांत जिन दिनों तीसरी कक्षा में पढ़ते थे, उनकी रफ नोट्स वाली कॉपी किसी ने चुरा ली थी. आज उसी कॉपी को हम विकीपीडिया के नाम से जानते हैं

पत्नी- क्यों जी रोज सुबह मेरे चेहरे पे पानी क्यों डालते होपति- क्योंकि तुम्होर पिताजी ने कहा थामेरी बेटी फूल की तरह है इसे मुरझाने मत देना

क़यामत है तेरा यूँ बन सँवर के आना,हमारी छोड़ो, आईने पे क्या गुज़रती होगी.

अब तो अपनी चाहत की,जायदाद हमें बक्श दो, एक अरसा हो गया,मोहब्बत की किश्ते भरते भरते

जब मैँ डूबा तो समुन्र्द को भी हैरत हुई मुझ पर,दोस्तो.कितना तन्हा शख्स हैकिसी को पूकारता भी नही

थोडी मुस्कुराहट ऊधार दे दे मूझे ऐ ज़िन्दगी,कुछ 'अपने' आ रहे हैं मिलने की रस्म निभानी है

वक्त बदल जाता है जिंदगी के साथजिंदगी बदल जाती है वक्त के साथवक्त नहीं बदलता दोस्तों के साथबस दोस्त बदल जाते हैं वक्त के साथ

जिस हॉस्पिटल के हम डॉक्टर हैं,हमारी पत्नी वहा की नर्स हैं क्या अजीब ज़ुल्म सहना पड़ता हैंअपनी ही बीवी को सिस्टर कहना पड़ता ह

हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता मेरे दोस्त



बदनाम क्यों करते हो तुम इश्क़ को , ए दुनिया वालो…मेहबूब तुम्हारा बेवफा है ,तो इश्क़ का क्या कसूर

वक्त ने बदल दिए तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा पहले दोस्ती,फिर प्यार और फिर अजनबी सा अहसास

बेक़रारी तेरी मेरी कुछ हद से गुज़र गई अब तो जब तुमको देखू तब ही क़रार आए इस दिल को

मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ नमी है,वजह तू नहीं बस तेरी ये कमी है

मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ नमी है,वजह तू नहीं बस तेरी ये कमी है

सुनो! या तो मिल जाओ, या बिछड जाओ, यू सासो मे रह कर बेबस ना करो

बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे, वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे

किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी.इंतेज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है

उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में,पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है

सब छोड़े जा रहे है आजकल हमें, ऐ जिन्दगी " तुझे भी इजाजत है,जा ऐश कर

यूँ तो शिकायतें बहुत है तुझसे करने को पर सुलह के लिए तेरी एक मुस्कान ही काफी है

दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो… इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं

कितना लुत्फ ले रहे है,लोग मेरे दर्द का,ऐ इश्क देख तुने तो मेरा तमाशा बना दिया.

सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले | हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया

या जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है

बस रिश्ता ही तो टूटा है मोहब्बत तो आज भी मुझे तुमसे है

सूखे होंटो से ही होती है मीठी बातें अक्सर जब बुझ जाये प्यास तो लहजे बदल जाते हैं

तुझसे मोहब्बत ही सबसे बड़ा गुनाह था मेरा.ज़िन्दगी भर के लिये आँसू सज़ा में मिल गये

कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी ज़िन्दगी मेरी किसी ने समेटा ही नहीं हाथ ज़ख़्मी होने के डर से

मोहब्ब्ते और भी बढ़ जाती है जुदा होने से,तुम सिर्फ मेरे हो इस बात का ख्याल रखना

हँस कर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का

मेरे दिल के करीब है वो शख़्श इतना.कि मालूम नही होता फर्क उसमें और मुझमें.

ज़रूरी नही कि हर रिश्ते  का अंत लड़ाई ही हो कूछ रिश्ते किसी की खुशी के लिये भी छोड़ने पड़ते है

इश्क का खेल अधूरा ही रहता है पगली.जो पूरी हो जाये वो सच्ची मोहब्बत कहॉं.

ख़ामोश सा माहौल और बेचैन सी करवट है,ना आँख लग रही है और ना रात कट रही है

इरादे मेरे हमेशा साफ़ होते है शायद.इसीलिए कई लोग मेरे खिलाफ होते है

चल रही थी बात हुस्न और इश्क़ की,हमने तुम्हारा नाम लेकर बात शुरू भी की और खत्म भी

कितनी मासूम सी थी दुनिया मेरी एक मैं था....और एक दोस्ती तेरी

इतने प्यार से चाहा जाए तो पत्थर भी अपने हो जाते हैँ.न जाने ये मिट्टी के इंसान इतने मगरूर क्योँ होते हैँ

इतने प्यार से चाहा जाए तो पत्थर भी अपने हो जाते हैँ.न जाने ये मिट्टी के इंसान इतने मगरूर क्योँ होते हैँ

तुम मुझे मौक़ा तो दो ऐतबार बनाने का थक जाओगे मेरी वफ़ा के साथ चलते चलते 

मोहब्बत की मिसाल में बस इतना ही कहूँगा .बेमिसाल सज़ा है, किसी बेगुनाह के लिए

जिस शहर में बर्बाद हुआ "मैं" चन्द मुहब्बत के लिए सुना है वहाँ के पत्थरो को भी मुहब्बत हो गयी है मुझ से

मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं

मिल ही जायेगा, हमे भी कोई टूट कर चाहने वाला.पूरा "शहर का शहर" तो बेवफा नही हो सकता

हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता मेरे दोस्त कुछ बेनाम रिश्ते रुकी जिंदगी को साँस देते है

कईं रोज से कोई नया जखम न दिया पता करो सनम ठीक तो है न

कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आँसु ;वो जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने

इस से तो उसकी मोहब्बत में कमी होती है माँ का एक दिन नहीं होता है सदी होती है

मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना यारों.वरना तुमभी मुसाफिर बन जाओगे मेरी तरह तन्हा रातों के.

मुझे छोड़ कर वो खुश है तो शिकायत कैसी,अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी

लौट आती है हर दफा इबादत मेरी 'खाली,जाने किस मंजिल पर खुदा रहता है

मुद्दतों के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे.कदमों की क्या औकात थी..साँसे भी ठहर गयीं

जिंदगी जीने के लिए मिली थी



पत्थर तो लोग इसीलिए पूजते है जनाब,,,
क्योंकि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता.

हमने तो एक ही शख्श पर चाहत खत्म कर दी..
अब मुहब्बत किसे कहते है मालूम नही.

हो सके तो मुड़ के देख लेना, जाते जाते,
तेरे आने के भ्रम में, ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे

मैं अपनी मोहब्बत में बच्चों की तरह हूँ..
जो मेरा है ....सिर्फ मेरा है

कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसा कोई 
जो तुम्हारे सितम भी सहे और तुमसे मोहब्बत भी करें

तेरी यादों को समेटे रखा है हमने
ताकि तू कभी बेवफा होने का इल्ज़ाम न दे.

उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हँसकर.. 
 यही एक अजब हुनर सीखा है मैंने बहुत कुछ खो देने के बाद

समुद्र बड़ा होकर भी अपनी हद में रहता है जबकि मनुष्य छोटा होकर भी औकात भूल जाता है

कभी साथ बैठो तो कहूँ क्या दर्द है मेरा,अब तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहूँगा

लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है
कौन से शहर में और किधर होता है.

मत पूछ मेरे सब्र की इँतहा कहा तक है तू सितम करले तेरी हसरत जहाँ तक है
वफा की उम्मीद जिसे होगी उसे होगी हमे तो ये देखना है तू बेवफा कहा तक है

दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो..
ये और बात है कि किस्मत दगा कर गई.

सिमट  गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में , 
जब  उसने कहा, मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.

मोहब्बत का असर कुछ इस तरह जिन्दा कर देता हूँ मैं।
बेवफाओ को भी गले लगाकर शर्मिंदा कर देता हूँ मैं

हमें नहीं मालूम सफर में कितने काँटे और लगेंगे किसकी उँगली हाथमें होगी
किसके खूनी दाग लगेंगे शायद कोई साथ न देगा चलते घावों के भी घाँव लगेंगे

जाएंगे कहाँ ? सूझता नही चल पड़े मगर, रास्ता नही
क्या तलाश है ? कुछ पता नही बुन रहे हैं दिल, ख़्वाब दम-बा-दम.

लोग पढ़ लेते हैं मेरी आखों से तेरे प्यार का नशा..
मुझसे अब तेरे इश्क़ की हिफाजत नहीं होती..

मोहब्बत का असर कुछ इस तरह जिन्दा कर देता हूँ मैं।
बेवफाओ को भी गले लगाकर  शर्मिंदा कर देता हूँ मैं

काम आखिर जज्बा-ए-बे-इख्तियार आ ही गया,
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उनको प्यार आ ही गया

किसी के लिए वक़्त गुजारने का तरीका,तो किसी के लिए मोहोब्बत बन गयी,
न जाने जिंदगी,,,क्या से क्या बन गयी,

चुप चाप चल रहे थे सफर-ऐ-हयात में
तुम पे नजर पड़ी तो गुमराह से हो गये

झूठ बोल कर मैं भी दरिया पार कर जाता..
डूबो दिया तो मुझे सच बोलने की आदत नें.

मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो..ये एहसास हुआ..जिसे मँजिल समझते थे वो तो बेमक़सद रास्ता निकला.

अगर रूह को रूह की प्यास  ना  होती तो दिल को भी किसी की तलाश ना होती

आएंगे हम याद तुम्हे एक बार फिर से जब तेरे अपने फ़ैसले तुझे सताने लगेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था बेशक ख्वाब ही था मगर हसीन कितना था.

अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो दिल अक्सर कहता है काश बता पाते कौन है वो

जनाजा देखकर मेरा,वो बेवफा बोल ही पडी वही "मरा" है ना, जो मुझ पर "मरता" था.

तलाश ना कर जमीन-ओ-आसमान की गर्दिश में.मैं तेरे दिल में नही तो कहीं भी नही.

मशहूर होने की खवाहिश मे कुछ यू बदनाम हुऐ है मानो 
जैसे हाथो मे जाम लिऐ कोई आशिक बदनाम हो जाता है

हम शोलों पर चलने वाले ना डरते है चंद अंगारों से,,,
अब गूंजेगी हमारी पावन धरती जय श्री राम के नारों से

कोई खास फर्क नहीं पडता अब ख्वाहिशें अधूरी रहने पर,
बहुत करीब से कुछ सपनों को टूटते हुए देखा है मैंने

कभी ले मुझसे मेरे दिन और रात का हिसाब..
फिर ढूँढ आपने सिवा कुछ और मेरी जिंदगी में.

कहा मिलेगा तुम्हे मुझ जैसा कोई जो तुम्हारे सितम भी सहे और तुमसे मोहब्बत भी करे!

समुद्र बड़ा होकर भी अपनी हद में रहता है जबकि मनुष्य छोटा होकर भी औकात भूल जाता है

चिंता का विषय:जिस देश में लोगो में "पिछड़ा" बनने की होड़ लगी हो वो "देश" आगे कैसे बढेगा.

वो जो मेरे जिस्म से प्यार करती थी.आज देखती भी नही..
वो जो रूह में बस गयी थी आज भी मेरे साथ है.

वो कहते है..की हम उनकी झूठी तारीफ करते है ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे

दर्द जब हद से गुज़र जाएगा तो पूछूंगा उनसे.ज़ख़्म ही देते हो या जान लेने का भी हुनर रखते हो

काश तेरी याद़ों का खज़ाना बेच पाते हम.. हमारी भी गिनती आज अमीरों में होती 

कर तो सकता था मैं भी मोहब्बत उससे..पर सोचा..हसीन हैं तो बेवफा भी होगी ही.

उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हँसकर..यही एक अजब हुनर सीखा है मैंने बहुत कुछ खो देने के बाद

फिक्र तो बहुत थी सभी अपनों को मेरी मगर वक्त ही मेरा हमदर्द ना था

मेरी जिंदगी मै खुशियां तेरे बहाने से थी आधी तुझे सताने से थी आधी तुझे मनाने से थी

मैं सब कुछ भूल जाता हूँ; इसी इक बात पे हमदम,सिरहाने जब भी तेरी चिट्ठियों का साथ होता है

मेहरबां हो कर बुला मुझे ,जहाँ कभी जिस वक्त मैँ गया हुआ वक्त नहीँ कि फिर आ न सकूँ

तेरी यादों में बिखरा पड़ा है मेरा वजूद .तुमने कभी ढूंढा ही नहीं मुझे ढूढ़ने वालों की तरह

जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था माँ तूने गोद मे उठा कर जब प्यार किया था

नींद न आए,तो भी; सो जाना चाहिए जनाब...
जागते रहना,मर्ज़-ए-इश्क़ का; इलाज नहीं होता

मुझ पर सितम करो तो तरस मत खाना.क्योकि खता मेरी हैं मोहब्बत मैंने किया हैं

मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी

छोड़ो बिखरने देते हैं ज़िंदगी को आखिर समेटने की भी एक हद होती है

मत हो उदास इतना किसी के लिये...ऎ दिल..किसी के लिए जान भी दे दोगे तो लोग कहेंगे...,इसकी उम्र ही इतनी थी

बेशक वो ख़ूबसूरत आज भी है,पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं,जो हम लाया करते थे

बेशक तू बदल ले अपने आपको लेकिन ये याद रखना,तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता

ना छेड़ किस्सा ऐ उल्फत का, बड़ी लम्बी कहानी है .मैं गैरों से नहीं हारा, ये किसी अपने की मेहरबानी है

नहीं पढ़ते आज कल वो ख़त मेरे..डर है मेरे लफ्ज़ उनके लब ना छू लें

कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी ज़िन्दगी मेरी…
किसी ने समेटा ही नहीं हाथ ज़ख़्मी होने के डर से

ठहरो जरा इत्मीनान कर लेने दो,अपनी आँखोँ से तुम्हे गैर की बाहोँ मेँ देखकर्

रौशन है मेरा इश्क़ अब तेरे जमाल से ,तू मेरे प्यार के लिए पूनम का चाँद है

मिरी चाहत को ज़रा कामयाब़ होने दो,फलक का चाँद मेरे यार भूल जाओगे

बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा कि तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो

दो मिनट का मौन उस ऑस्ट्रेलियाई फील्डर के लिए जो धोनी के एंड पर थ्रो फेंककर उसे रन आउट करने की कोशिश कर रहा था 

फुर्सत गर मिले, तो पढ़ना मुझे जरूर नायाब उलझनों की, मैं मुकम्मल किताब हूँ

कौन कहता है तेरी याद से बेख़बर हूँ मैं;⁰ज़रा बिस्तर की सिलवटो से पूछ, मेरी रात कैसे गुजरती है

औकात क्या है तेरी ऐ जिंदगी चार दिन की मोहब्बत भी तुझे तबाह कर देती है

ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये ,बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला.ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है

बहुत गौर से देखने पर जिंदगी को जाना मैंने,⁰दिल जैसा दुश्मन जमाने में नहीं मिलता

तुम क्यूँ नहीं समझते मेरे दिल के हाल को,क्या तुम्हारे दिल की जगह दिल नहीं है क्या

खतम हो गई कहानी बस कुछ अलफाज बाकी है, एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी है

करीब आओगे तो शायद तुम हमें समझ लोगे, यह दूरियाँ तो सिर्फ गलतफहमियाँ बढ़ाती है

एक लाचारी सी बसती है सीने में मेरे..कि तुझ बिन मुझे जीना नही आता

अभी तो कुछ ही लफ़्ज़ों में समेटा है तुम्हे अभी तो मेरी ज़िन्दगी की किताब में तेरी पूरी कहानी बाकि है

सुना है रोज़ - रोज़ मिलने से मोहब्बत कम नहीं होती यह सोच कर हम उनसे मिला नहीं करते

मेरी नज़रों ने छुआ ;तुमको बड़े तहज़ीब से ,ये सलीक़ा इश्क़ में आया बडी मुद्दत के बाद

नदी के किनारों सी लिखी उसने तकदीर हमारी,ना लिखा कभी मिलना हमारा, ना लिखी जुदाई हमारी

मेरे हिस्से में कुछ बहार आये ।लौट के फिर तू एक बार आये 

बंद कर दिए है हमने दरवाज़े इश्क के,पर तेरी याद हैं कि दरारों में से भी आ जाती हैं

एक तेरे बगैर ही ना गुज़रेगी ये ज़िंदगी बता मैं क्या करूँ ,सारे ज़माने की मोहब्बत ले कर.

उनकी दुआओं में असर कुछ न कुछ तो है उनके बगैर लाश हूँ, पर सांसे तो चल रही

जिंदगी जीने के लिए मिली थी हमने किसी की हसरत में गुजार दी